GST for Online Seller

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GST for Online Seller 

 
भारत की नई GST सिस्टम टैक्स को आसान बनाने के लिए डिजाईन किया
गया है
, खासकर छोटे व्यापारों के लिए।  लेकिन अगर आप आनलाईन बिजनेस चला रहे हैं तो नियम
कुछ काॅम्प्लीकेटेड है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि आप सारे रिकाॅर्ड सही से रख
रहे हैं
, और सही से टैक्स का भुगतान कर रहे हैं, यह जानना महत्वपूर्ण है कि कैसै GST आपके आनलाईन बिजनेस प्रभावित करता है।

 

 आइए GST के सारे नियमों को आसान भाषा में विस्तार से समझते हैं। 
 
 
 
• Mandatory GST registration for online sellers  
GST नें छोटे व्यापारों पर लगने वाले कर को बहुत कम कर दिया है। जो
कंपनी
20 लाख से कम कमाती है तथा उत्तरपूर्वी राज्यों में जो कंपनी 10 लाख से कम कमाती है
उसे
GST पे नहीं करना पड़ता है। 
एक ई – कामर्स बिजनेस होने के नाते GST की ये सीमा आप पर
लागू नहीं होती है।
GST के अंतर्गत, सभी आनलाईन सेलर को रजिस्टर करना और पे करना अनिवार्य है इसका मतलब
यह है कि यदि आप सिर्फ
1 लाख हीं कमाते हों फिर भी आपको GSTIN लेना होगा। इसके अलावा, आपको सभी मासिक
रिटर्न दाखिल करने और सभी योग्य बिक्री टैक्स पे करना आवश्यक है।
• More opportunities for interstate sale –
भारत के पुराने टैक्स सिस्टम के
अंतर्गत प्रोडक्ट को राज्यों की सीमा के बाहर सेल करना बहुत मुश्किल था। पहले जब
भी अंतरराज्यीय व्यापार होता था तो हर बार अलग – अलग तरह के टैक्स भरने पड़ते और
साथ में बहुत तरह के पेपरवर्क भी करवाए जाते थे।
 
छोटे व्यापारों के लिए अतिरिक्त सेल
करना नामुमकिन सा था क्योंकि छोटे व्यापारों के पास उतने बजट नहीं थे कि वो उतने
टैक्स भर पाएं। इसका मतलब यह था कि आपके आगे बढ़ने की संभावना बस वहीं थी जहां आप
रह रहे हैं।
नई टैक्स सिस्टम ने सभी अंतरराज्यीय
टैक्स को समाप्त कर उसे एक टैक्स के अंदर ला दिया है।
GST नें छोटे व्यापारों
के लिए भी बहुत सारी संभावनाएं खोल दी है।
GST के साथ, आप अपने राज्य के कस्टमर को भी
प्रोडक्ट सेल कर सकते हैं और दूसरे राज्य के कस्टमर को भी प्रोडक्ट सेल कर सकते
हैं बिना इस बात की चिंता किए कि आपको अनेक तरह के टैक्स भरने पड़ेंगे। आप भारत
हीं नहीं दुनिया के किसी भी कोने में अपनी प्रोडक्ट सेल कर सकते हैं।
नई टैक्स सिस्टम आपको बड़े उधोगों से
टक्कर लेने का मौका देती है। हाँलाकि यह डराने वाला लगता है लेकिन यह आपके और आपके
कस्टमर्स के लिए बहुत अच्छा है। अंतत: एक छोटे व्यापार के होने के बावजूद आप अधिक
फ्लेक्सिबल क्वान्टिटी
, ज्यादा से ज्यादा पर्सनल सर्विस और अन्य सुविधाएं दे सकते हैं और
रिटेलर्स को बड़े सपलायर्स से दूर कर सकते हैं।
GST नें आपके बिजनेस को बिना अतिरिक्त
टैक्स का बर्डन लिए बड़ा करना आसान बना दिया है।
• Direct Sellers vs. E – commerce Marketplace –
आप किस तरह GST पे करेंगे ये इस
बात पर निर्भर करता है कि आप किस तरह का आनलाईन बिजनेस चला रहे हैं।
 
आनलाईन बिजनेस मुख्यत: दो तरह के होते
हैं –
डायरेक्ट सेलिंग जब आप खुद से प्रोडक्ट मैनूफैक्चर करके या किसी मैनूफैक्चरर से
प्रोडक्ट खरीदकर अपने वेबसाइट के थ्रू अपने कस्टमर को सेल करते हैं। यदि आप इस तरह
का आनलाईन बिजनेस कर रहे हैं तो आप स्टैंडर्ड
GST फिलिंग रूल को फोलो करें। 
ई – काॅमर्स एग्रीगेटर दूसरे तरह का आनलाईन बिजनेस है ई – काॅमर्स एग्रीगेटर। फ्लिपकार्ट
और अमेजाॅन जैसी वेबसाइट को एग्रीगेटर बोला जाता है जो डायरेक्ट कस्टमर को
प्रोडक्ट सेल नहीं करती है बल्कि सेलर और बायर के बीच एक मिडियम बनकर जोड़ती है
तथा हर एक सेल पर कमीशन लेती है। इसलिए इस तरह के ई – काॅमर्स बिजनेस के लिए
GST स्टैंडर्ड अलग होता
है जिसे टैक्स कलेक्टेड एट सोर्स (
TCS) बोलते हैं। जब आपकी कंपनी बायर और
सेलर को कनेक्ट करके बिजनेस करती है तो
GST नियम के अनुसार सेल का 2% काटकर आप पेमेंट
सेलर को भेज सकते हैं। तब आपके सेलर अपने
GST फिलिंग के समय टैक्स डिडक्शन क्लेम कर
सकते हैं।
यदि आप एक एग्रीगेटर हैं तो आपदोनो को, आपको और आपके सेलर
को प्रत्येक सेल के बारे में गवर्मेंट को रिपोर्ट करना अनिवार्य है। आपके और आपके
सेलर के रिपोर्ट बिल्कुल एकसमान होने चाहिए यदि वे ऐसा नहीं करते हैं तो आपके सेलर
बकाया
GST के लिए जिम्मेदार होंगे। TCS रिक्वायरमेंट ऐसे सेलर को पहचानने और
उसे बिजनेस से हटाने में आपकी मदद करता है जो सेलर एक्यूरेट सेल्स रिपोर्ट
प्रोवाइड नहीं कराते हैं।
• Ineligibility for composition scheme – 
GST के अंतर्गत गवर्मेंट ने एक कंपोजीशन स्कीम बनाई है। यह स्कीम छोटे
और मध्यम व्यापारों को आसानी से
GST
पे करने के उधेश्य से डिजाइन किया गया
है। मासिक रिटर्न भरने के जगह क्वालीफाइड कंपनियां फ्लैट टैक्स रेट से क्वार्टरली
पे कर सकती है। लेकिन एक ई – काॅमर्स बिजनेस होने के कारण आप इस स्कीम में हिस्सा
नहीं ले सकते हैं भलें ही आपकी कंपनी रेवेन्यू रिक्वायरमेंट जेनरेट करती हो। ये
स्कीम उन बिजनेस पर अप्लाई होती है जिनका बिजनेस एक हीं राज्य के अंदर है।
• Better tax credit –
यदि आप एक ई – काॅमर्स बिजनेस चलाते
हैं तो आप अपने टैक्स पेमेंट घटाने के लिए इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ ले सकते
हैं।
मान लीजीए कि आप किसी राॅ मेटेरियल के
लिए
500 रू॰ GST पे करते हैं। जब आप उस राॅ मेटेरियल से प्रोडक्ट बनाते हैं और उसे
आनलाईन सेल करते हैं और आप अपने कस्टमर से
550 रू॰ GST चार्ज करते हैं तो गवर्मेंट आपसे आशा
करती है आप उसे
550 रू॰ पे करें। जबकि ITC में आप आरिजनल 500 रू॰ क्रेडिट के रूप
में काट सकते हैं इसका मतलब यह हुआ कि आप सिर्फ
50 रू॰ गवर्मेंट को पे कर सकते हैं।
आप किसी भी प्रोडक्ट या सर्विस पर ITC क्लेम कर सकते हैं
जिसे आप अपने बिजनेस के लिए यूज करते हैं। लेकिन आपको बिल्कुल वैसे हीं एक्सप्लेन
करना पड़ता है जैसे आप उस सामान का इस्तेमाल करते हैं। एक उदाहरण के तौर पर मान
लिजीए आप किसी फैक्ट्री से बल्क में टी – सर्ट खरीदते हैं और उसे स्क्रीन प्रिंटिग
के लिए किसी कंपनी को सेल कर देते हैं तो आप
ITC क्लेम कर सकते हैं। वहीं पर अगर आप एक
कंम्प्यूटर खरीदते हैं पर्सनल यूज के लिए तो आप
ITC क्लेम नहीं कर सकते हैं। जब आप लीगली
यूज करते हैं
, ITC आपके टैक्स बर्डन को प्रत्येक महीने कम कर देता है। 
बहुत सारे ई – काॅमर्स बिजनेस ऑनर को
ग्रोथ के लिए
GST सिस्टम आसान रिपोर्टिंग और नई संभावनाएं देती है। क्योंकि आनलाईन
कंपनियों के लिए सिस्टम थोड़ा काम्पलीकेटेड है इसलिए ये जरूरी है कि आप अप – टू –
डेट रहें और आप सही फाइल करें ताकि आपका मासिक टैक्स बिल घट सके।
उदाहरण –1. राज्य के अंतर्गत
सेल
श्याम कुमार जो कि मुंबई ( महाराष्ट्र
) में रहता है और अमेजाॅन से एक मोबाईल ऑर्डर करता है। सेलर
क्विक मोबाईलजो कि नागपूर (
महाराष्ट्र ) में है उसका ऑर्डर रजिस्टर करता है और भेजता है। सप्लाई प्लेस जो कि
मुंबई ( महाराष्ट्र ) में है और सप्लायर का लोकेशन नागपूर ( महाराष्ट्र ) में है।
दोनो एक हीं राज्य के अंतर्गत आता है इसलिए यहां
CGST & SGST पे करना होगा। 
उदाहरण –2. अंतरराज्यीय सेल
श्याम कुमार जो कि मुंबई (महाराष्ट्र)
में रहता है अमेजाॅन से एक मोबाईल ऑर्डर करता है। सेलर
मोबाईल माॅलउसका ऑर्डर
रजिस्टर्ड करता है और भेजता है जो कि भोपाल ( मध्यप्रदेश ) में है। इस केस में
सप्लाई प्लेस और सप्लायर लोकेशन दो अलग – अलग राज्यों में है इसलिए यहां
IGST चार्ज किया जाएगा।
उदाहरण-3. सेन्ड टू अ थर्ड
पार्टी
 
श्याम कुमार जो कि मुंबई ( महाराष्ट्र
) में रहता है और अमेजाॅन से अपने भाई के लिए एक फोन ऑर्डर करता है जो कानपूर (
UP ) में रहता है। सेलर शर्मा मोबाईलजो कि रांची (
झारखण्ड ) में है उसका आर्डर रजिस्टर्ड करता और श्याम कुमार द्वारा दिए गए बिलिंग
एड्रैस पर भेज देता है। इस केस में यह माना जाएगा कि ऑर्डर श्याम कुमार
(महाराष्ट्र) ने रीसीव किया है जबकि एक्चुअल में उसके भाई को डिलीवरी दी गई है
, GST & IGST चार्ज किया जाएगा।
• Who will collect TCS under GST 
GST नियम के अनुसार ये जिम्मेदारी ई – काॅमर्स एग्रीगेटर्स की होती है
कि वो प्रत्येक ट्रान्जेक्शन पर
1%
की दर से टैक्स डीडक्ट करे और जमा
करे। कोई भी आनलाईन डीलर्स/ट्रेडर्स जो कि गुड्स/सर्विस सेल करते हैं उन्हें
1% टैक्स काटकर हीं
पेमेंट किया जाता है। सभी डीलर्स/ट्रेडर्स को आनलाईन गुड्स/सर्विस सेल करने के लिए
GST के अंतर्गत रजिस्टर करना पड़ता है भले हीं उसका टर्न ओवर 20 लाख से कम हो फिर
भी
, इस बात का क्लेम करने के लिए कि आनलाईन एग्रीगेटर्स उनसे टैक्स
डीडक्ट कर रहे हैं।
नोट : सर्विस सप्लायर जो ई – काॅमर्स
ऑपरेटर के बिना सप्लाई कर रहे हैं यदि उनका टर्न ओवर
20 लाख से कम हो तो
उसे
GST के दायरे से बाहर रखा गया है।
• Who will deduct TDS under GST
TDS  1% की दर से काटे जाने का प्रावधान है जिसमें टैक्स देने योग्य
गुड्स/सर्विस के सप्लायर्स को किए गए भुगतान पर लगता है यदि इन्डिविज्वल
कॅन्ट्रेक्ट के तहत इसका मूल्य
₹2,50,000
से अधिक हो।
• The following
people/entities need to deduct TDS –
केंन्द्र या राज्य सरकार का एक विभाग
या प्रतिष्ठान हो।
 
लोकल आथोरीटीज
गवर्मेंट ऐजेंसी
a. संसद, राज्य विधानमंडल,
या किसी सरकार द्वारा निर्धारित
आथोरिटी या बोर्ड ।
b. समाज जो केंन्द्र सरकार, राज्य सरकार या लोकल आथोरीटी द्वारा
स्थापित किया गया हो।

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